(वेब पोर्टल mediawala.in के अंतर्गत सेनाओं से जुड़े स्तम्भ 'वर्दीवाला' में मेरे लेख .... पढ़ते रहिये ....)
राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के शिक्षण स्टाफ पर सीबीआई का छापा
( देश की प्रमुख सैन्य शिक्षण संस्था के साथ गलत खिलवाड़ )
राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के शिक्षण स्टाफ पर सीबीआई का छापा
( देश की प्रमुख सैन्य शिक्षण संस्था के साथ गलत खिलवाड़ )
राष्ट्रीय रक्षा अकादमी देश की ही नहीं पूरे
विश्व की सभी अकादमियों से अलग और ऊपर है. वहाँ तैयार होते हैं न केवल हमारी तीनों
सेनाओं के भावी अधिकारी, बल्कि दूसरे देशों के प्रशिक्षु भी . मैंने अपने जीवन में
कुछ अच्छा और नया सखा तो मैंने वहीं सीखा. देश, वर्दी, टीम, संघर्ष, भाईचारा,
बलिदान और भी न जाने कितने आदर्श जो कि आप
हमें सिर्फ पुस्तकों में मिलते हैं, राष्ट्रीय
रक्षा अकादमी में एक कैडेट के जीवन का अभिन्न अंग हैं. सैनिक जीवन के मूल मन्त्र
किसी योगशाला या धर्मशाला में नहीं बल्कि ऐसे संस्थानों में मिलते हैं. ऐसे में
सीबीआई की रेड और उसे एक अलग ही रंग देने का मीडिया का उतावलापन एक महान संस्थान
की छवि पर ऊँगली उठाते हैं.
मैंने राष्ट्रीय रक्षा में
अकादमी सन 1989 में प्रवेश लिया
और तीन वर्ष के लम्बे प्रशिक्षण में एक साधारण युवक से युवा सैनिक में परिवर्तित
हो गया. अकादमी में JNU से स्नातक की
डिग्री मिलने का प्रावधान है जिस के
लिए अकादमी की शिक्षा शाखा में असैनिक
(सिविलियन) स्टाफ होता है. हमारे समय के
अध्यापक और विभागाध्यक्ष अकादमी के सैनिक प्रशिक्षकों से भी अधिक उत्साहित हुआ
करते थे और कई शिक्षक तो दो से भी अधिक दशकों से वहाँ कार्यरत थे. ये वो समय था जब
कि उनकी चयन प्रणाली में किसी बाहरी संस्था का हाथ नहीं था. असिस्टेंट प्रोफेसर के
पद से कार्यकाल शुरू करने वाले अध्यापक एक एक सीढ़ी चढ़ के प्रोफेसर और फिर
विभागाध्यक्ष के पद पर पहुँचते थे. 2007 के बाद ये ज़िम्मा UPSC
को मिला और हर स्टार पर अलग चयन प्रक्रिया पर आधारित सीधी भर्तियाँ होने लगीं. साथ
ही देश के बाकी संस्थानों में चयन प्रक्रिया में जो गड़बड़ियाँ और धांधलियां होती
हैं, यहाँ भी धीरे धीरे आने लगीं. UPSC एक बड़ी संस्था है और उस पर ऊँगली नहीं उठाई
जा रही. पर वहाँ काम करने वाले लोग देश की सुरक्षा की मर्यादा और उसकी गंभीरता से
अपरिचित हैं. मामले की जाँच चल रही है और
शिक्षकों की नियुक्ति में बड़ी गड़बड़ी पायी गयी है. प्रधानाचार्य ओम प्रकाश शुक्ला के
साथ कई अन्य शिक्षक हैं जिन पर गलत
दस्तावेज़ प्रस्तुत करके पहले प्रविष्टि और तत्पश्चात पदोन्नति पाने का आरोप लगा
है. ध्यान रहे कि चयन प्रक्रिया से अकादमी को अलग रखने का नतीजा है कि ऐसे लोग राष्ट्रीय
रक्षा अकादमी में नियुक्त हो रहे हैं, जिनका अपना चरित्र संदिग्ध है. आग्रह है कि भ्रष्टाचार
को इन संस्थाओं से परे रखें और इन संस्थाओं के भी चयन के नए मानदंड तय करें. कृपा कर के सेना की नींव को कमज़ोर न करें.
कैडेट, जिन्होंने आगे जा कर देश की सुरक्षा की बागडोर संभालनी है उनको नैतिक, मानसिक और शारीरिक तौर पर सही प्रशिक्षण
देना पूरे देश की साझी ज़िम्मेदारी है. मैंने उन तीन वर्षों में जितना सैन्य
प्रशिक्षकों से सीखा उतना ही अपने सिविलियन शिक्षकों से भी. वो सब आज भी हमारी
स्मृतियों का अभिन्न हिस्सा हैं क्यूंकि उस वक़्त वे सभी राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के
आधार स्तम्भ थे. सीबीआई की जांच का अनुरोध भी रक्षा अकादमी के अधिकारियों ने ही किया
था . सोचने और विचारने का विषय तो है ही, सख्त कदम उठाने का भी समय है. UPSC और
चयन प्रक्रिया से जुड़े सभी महकमों को आतंरिक जाँच कर के गलत व्यक्तियों को दण्डित
और निष्कासित करना होगा. राष्ट्रीय रक्षा अकादमी ही क्या किसी भी शिक्षण संस्थान
की चयन प्रक्रिया पारदर्शी होनी चाहिए.
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