असमय नहीं था
अपना मिलना
तुम्हें जी लेना था
अपने में
मुझे भी खुद में
मिलने से पहले
याद कर लेने थे
प्रेम के अलावा वाले
सब पहाड़े
और देख लेनी थी दुनिया
नज़रिया बदलने से पहले
अपना मिलना
तुम्हें जी लेना था
अपने में
मुझे भी खुद में
मिलने से पहले
याद कर लेने थे
प्रेम के अलावा वाले
सब पहाड़े
और देख लेनी थी दुनिया
नज़रिया बदलने से पहले
असमय तो कुछ भी नहीं होता
खिड़की के पल्ले से लटकी बूँद
कभी भी तुम्हारा
चेहरा बन जाने से पहले नहीं गिरी
धूप से बनी उस फूल की परछाई
तब तक नहीं बदली
जब तक तुम्हारा अक्स
नहीं उकेर लिया मैंने दीवार पर
खिड़की के पल्ले से लटकी बूँद
कभी भी तुम्हारा
चेहरा बन जाने से पहले नहीं गिरी
धूप से बनी उस फूल की परछाई
तब तक नहीं बदली
जब तक तुम्हारा अक्स
नहीं उकेर लिया मैंने दीवार पर
असमय तो वो दवा भी
खत्म नहीं हुई थी
जिसे लेने की जल्दी में
टकराया था मैं तुम से
और तुमने ठीक समय पर ही कहा था
देख कर नहीं चल सकते
नहीं बोलती तो शायद
पहचान नहीं पाता
वो शब्द बिल्कुल नियत समय पर था
खत्म नहीं हुई थी
जिसे लेने की जल्दी में
टकराया था मैं तुम से
और तुमने ठीक समय पर ही कहा था
देख कर नहीं चल सकते
नहीं बोलती तो शायद
पहचान नहीं पाता
वो शब्द बिल्कुल नियत समय पर था
असमय था तो बस
मेरा वो पहले पहल हिचकिचाना
तुम्हें समय से पहले ही
सपना कर लेना
और फिर अपने ही संकोच में
उसे छू न पाना
असमय था वो वक़्त के आखिरी कुछ पलों का
अपने समय से पहले ही बीत जाना
मेरा वो पहले पहल हिचकिचाना
तुम्हें समय से पहले ही
सपना कर लेना
और फिर अपने ही संकोच में
उसे छू न पाना
असमय था वो वक़्त के आखिरी कुछ पलों का
अपने समय से पहले ही बीत जाना
और असमय है ये कविता
जानता हूँ कि
इसे कभी नहीं पढ़ोगी तुम
कि समय से चलता समय
एक समय के बाद
दीवार हो जाता है।
जानता हूँ कि
इसे कभी नहीं पढ़ोगी तुम
कि समय से चलता समय
एक समय के बाद
दीवार हो जाता है।
अमरदीप
23/04/2018
23/04/2018
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